भारत के राजस्थान राज्य में स्थित दौसा जिला जोकि एक ऐतिहासिक शहर लोकसभा क्षेत्र हैं एवं इसे देवनगरी भी कहते है। ये भारत की राजधानी दिल्ली से 240 किमी दक्षिण और जयपुर से 58 किमी पूर्व में स्थित हैं। इसका स्थापना कछवाहा राज्य के राजा दूल्हेराय ने बड़गूजरों को हराकर लगभग 1137 ईस्वी में किया था तथा दौसा को ढूंढाड़ अंचल के कछवाहा राजपुतों की प्रथम राजधानी बनाया गया। इसकी जनसंख्या 85,960 हैं। दौसा में बोली जाने वाली भाषा ढूंढाड़ी, हिन्दी हैं।
दौसा में घूमने लायक प्रमुख स्थान (Top Places to Visit in Dausa)
यादि आपकी दिलचस्पी धार्मिक स्थान घूमने में हैं। तो दौसा आपके लिए श्रेष्ठ (best) जगह हैं। इसलिए वाराणसी के अलावा इसे भी देवनगरी कहते हैं। आज हम आपको दौसा के कुछ प्रमुख आकर्षणों के बारे मे बताने जा रहे है जो सैलानियों को यहाँ खीच लाते हैं।
मेंहदीपुर बालाजी (MEHENDIPUR BALAJI)
दोस्तो हम आज 21 वीं सदी में हैं। लेकिन आज भी भारत में कुछ ऐसे मंदिर है, जो रहस्यों से भरे हुए हैं। हर एक मंदिर की अपनी एक गाथा और महत्व है। इन्हीं मंदिरों में से एक मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हैं। ये मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में सिकराय तहसील के पास दो पहाडियों के बीच मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर स्थापित हैं। यदि आप भूत-प्रेतों, आत्मा पर विश्वास नहीं करते हो, तो आपको यहां जरूर जाना चाहिए। यहां आपको कई विचित्र नजारे देखने को मिलेगी। जिसे लोग देखते ही हैरत में पड़ जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण श्रीराम गोस्वामी ने करवाया था। हनुमान जयंती, जन्माष्टमी, जल झूलनी एकादशी, दशहरा, शरद पूर्णिमा, दीपावली, मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, होली और रामनवमी को श्रद्धालुओ की भीड़ लगी रहती हैं। कुछ लोग भूत-प्रेतों, आत्मा जैसे समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यहाँ आते हैं।
हर्साद माताजी का मंदिर (HARSHAT MATA TEMPLE)
दौसा ज़िले के आभानेरी नामक गाँव में ‘चाँद बावड़ी’ के ठीक विपरीत दिशा में हर्साद माताजी का प्राचीन मंदिर स्थित हैं। माताजी के मंदिर को सचिनी देवी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर देवी दुर्गा की है जिसकी मूर्तियां 12 वीं शताब्दी की अद्भुत मूर्तिकला की प्रमाण हैं। इसलिए इस मंदिर को Archaeological Survey of India (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के द्वारा नियंत्रण किया जाता हैं। इस अद्भुत मंदिर का निर्माण चौहान वंशीय राजा चांद ने 8 वीं-9 वीं सदी में करवाए थे। लोगो का मानना है, कि देवी सदैव खुश रहती हैं और यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
नीलकंठ और पंच महादेव
राजस्थान के दौसा जिले को नीलकंठ महादेव मंदिर के कारण ही दौसा को देवनगरी कहा जाता है। यह मंदिर नीलगिरि पहाड़ी पर करीब 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पठार के ऊपर स्थित नीलकंठ मंदिर प्राचीन भव्यता और आध्यात्म का प्रतीक है। यह मंदिर जिस पहाड पर बना है वह उल्टे सूप के आकार का है। मंदिर में शिवलिंग की स्थापित किया गया है। इस मंदिर की स्थापना कच्छावा राज्य वंश के राजा ने 7वीं सदी में करवाया था। महाशिवरात्रि के दिन और श्रावण मास में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं।
पपलाज माता मन्दिर
पपलाज माता (Paplaj Mata) का मन्दिर राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट तहसील से लगभग 20 किमी दूर घाटा नामक ग्राम के एक पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। दौसा जाने वाले श्रद्धालुओं को एक बार यहां जरूर जाना चाहिए।
जहां जाने के लिए लालसोट के रास्ते में ही नांगल से एक रास्ता पपलाज माता के मन्दिर के लिये जाता है। ऐसे तो यहां हर वक्त श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैं। लेकिन चैत्र व आश्विन नवरात्रों को यहां जम कर भीड़ होती हैं, और यहां मेला भी लगता हैं।
भक्त यहां माताजी को गेहूँ मखाने इत्यादि चढ़ाते हैं।
यहां पर माताजी के मन्दिर के ठीक सामने ही लांगुरिया का मन्दिर है तथा मुख्य मन्दिर से पहले ही नीचे पहाड़ी के मोड़ पर भैरव मन्दिर है। भक्त मधुर गीत गाते-गाते मातारानी का दर्शन करते हैं।
दौसा कैसे पहुंचे (How to Reach Dausa)
रेलमार्ग (How to Reach Dausa by Train):
आप दौसा ट्रेन से भी जा सकते हैं, दौसा का महत्त्वपूर्ण जंक्शन बाँदीकुई है। यहां आप देश के कई हिस्सों से जुड़ सकते हैं। 12915- आश्रम एक्सप्रेस जो अहमदाबाद से पुरानी दिल्ली, 12414- जम्मू जयपुर एक्सप्रेस जम्मू तवी से अजमेर जंक्शन, 09007- भिवानी स्पेशल वान्द्रे टर्मिनस (मुंबई) से भिवानी जंक्शन तक जाती है तथा ये ट्रेनें दौसा और बाँदीकुई दोनो स्थान रुकती हैं।
सड़क़ मार्ग (How to Reach Dausa by Road):
यहां आप सड़क़ मार्ग से भी जा सकते हैं। दौसा ज़िला से होकर आगरा और जयपुर को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 21 होकर गुजरती हैं।
दौसा घूमने का सही समय (Best time to visit Dausa)
दौसा जाने के लिए तो आप के लिए सितम्बर – अक्टूबर का महीना बेस्ट रहेगा उस वक्त वहां का स्थानीय कार्यक्रम ‘आभानेरी महोत्सव’ पर्यटन विभाग द्वारा यहाँ प्रत्येक वर्ष आयोजित किए जाते हैं। यह दो दिन चलता हैं तथा आपको राजस्थानी खाना और लोक कलाकारों द्वारा विभिन्न गीत व नृत्य के कार्यक्रमो का आनंद ले सकते हैं। उत्सव के दौरान आपको गाँव की यात्रा ऊँट सफारी द्वारा कराई जाती है। इसी महीने में नवरात्रि के समय हर्साद माताजी का मंदिर पर मेला लगता हैं तथा दशहरा के दिन मेंहदीपुर बालाजी पर श्रद्धालुओ की भीड़ लगी रहती हैं।
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