हरिद्वार को भगवान श्री हरि बद्रीनाथ का द्वार भी माना जाता है, जो मां गंगा नदी के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इस नगरी को मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि जब समुद्र मंथन हुआ, तो उस दौरान मंथन में से निकले अमृत कलश के लिए जब देव और दानवों के बीच हुई छीना-झपटी में पृथ्वी पर जिन भी चार स्थानों पर अमृत छलका था उनमें से एक हर की पौड़ी भी थी, जहां प्रति बारह वर्ष में कुंभ मेला भी आयोजित किया जाता है। यदि आप भी हरिद्वार आए हैं, तो यहां पर स्थित पंजाब सिंध क्षेत्र धर्मशाला की सारी जानकारी आपको इस पोस्ट में उपलब्ध हो जाएगी।
PUNJAB SINDH KSHETRA DHARMSHALA HARIDWAR (RISHIKESH) – पंजाब सिंध क्षेत्र धर्मशाला हरिद्वार (ऋषिकेश)
हिमालय की गोद में बसे हरिद्वार में महामंडलेश्वर श्री हरि सिंह जी महाराज ने साधना तपस्या में लीन रहने वाले विद्वानों और तपस्वियों के लिए लंगर की व्यवस्था को प्रारंभ किया था। लंगर की व्यवस्था को करते हुए उन्हें ध्यान आया कि यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को ठंडी हवाओं में रात गुजारने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना होता था , इसके लिए उन्होंने देवभूमि में एक भूखंड लेकर यात्रियों के निवास के लिए दानदाताओं की सहायता से एक धर्मशाला का निर्माण करवाया, जहां पर आपको सुलभ कमरे उपलब्ध मिल जाते हैं। हरिद्वार में इस धर्मशाला का निर्माण 1922 में किया गया था। हरिद्वार में बिजली और पानी की पूर्ण सुविधा से लैस यह धर्मशाला पर्यटकों के ठहरने के लिए उत्तम आवास की व्यवस्था करती है। यहां से ठीक सामने ही आपको गंगा नदी के भी दर्शन हो जाते हैं।
धर्मशाला के अंदर जब आप प्रवेश करते हैं तो यहां लिखे स्लोगन आपको धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल प्रदान करते हैं। भोजन के लिए धर्मशाला में ही लंगर का संचालन किया जाता है, जहां पर आपको सात्विक आहार प्राप्त होता है। यहां धर्मशाला के अंदर शिव पार्वती का मंदिर भी बना हुआ है, जहां आप दर्शन कर सकते हैं। समय-समय पर यहां चिकित्सा कैंप के शिविर का भी आयोजन किया जाता है।
धर्मशाला का पता
Punjab Sindh Kshetra, Near Jairam Ashram, Bhimgoda, Haridwar, Uttarakhand, 249401.
तो दोस्तों यदि आप भी देवभूमि हरिद्वार में आए हैं, तो यहां स्थित पंजाब सिंध क्षेत्र धर्मशाला में जरूर ठहरिएगा और हमें कमेंट करके बताइएगा कि यह पोस्ट आपको कैसी लगी।
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