ज्वालामुखी मंदिर (Jwalamukhi Temple, Kangra, Himachal Pradesh)
Piyush Kumar July 24, 2024 0Table of Contents
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ज्वालामुखी मंदिर सभी शक्तिपीठो में से एक अत्यधिक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। ज्वालामुखी शक्तिपीठ शिवालिक की पहाड़ियों में स्थित है। ज्वाला मुखी मंदिर प्रकाश की देवी ज्वाला देवी को समर्पित है।
ग्रंथो के अनुसार ज्वाला मुखी मंदिर में ज्वाला देवी के रूप में माता सती विराजमान है।
कहा स्थित है ज्वाला मुखी मंदिर (Jwalamukhi temple location)
ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश की काँगड़ा घाटी से करीब 35 किलोमीटर दूर दक्षिण की तरफ स्थित है।
ज्वालामुखी मंदिर का निर्माण किसने करवाया (Who built jwalamukhi temple )
इतिहास के अनुसार ज्वालामुखी मंदिर का निर्माण किसी एक राजा ने नहीं बल्कि अलग अलग राजाओं ने करवाया है।
सर्वप्रथम राजा भूमिचन्द्र ने शिवालिक की पहाड़ियों में ज्वाला देवी को खोजा और वहां मंदिर बनवाया। उसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर का पुननिर्माण करवाया। पुनः 1835 में राजा संसारचन्द्र ने ज्वालामुखी मंदिर का निर्माण करवाया।
हिमाचल में स्थित ज्वालामुखी मंदिर का इतिहास (History of jwalamukhi temple )
ज्वाला मुखी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है।
पुराणों के अनुसार ज्वाला मुखी मंदिर वहां है जहा सती माता की जीभ गिरी थी। ऐसा कहा जाता है की कई हज़ार साल पहले की बात है। एक चरवाहा रोज अपनी गाय को चराने जंगल जाता था। चरवाहा जब शाम को जंगल से अपनी गाय वापिस ले कर आता तो देखता की गाय बिना दूध के है। चरवाहा कई दिनों तक इस घटना को होते हुए देखते रहा।
एक दिन चरवाहे ने अपनी गाय का पीछा किया और देखा की एक छोटी सी बच्ची दूध पी रही है। चरवाहे ने इस खबर की सुचना राजा भूमि चंद्र को दी।
राजा भूमि चंद्र ने अपने सैनिको को जंगल में भेज कर जांच पड़ताल करवाई तो पता चला की माता सती कन्या रूप में आकर दूध पीती है।
माता सती की यहाँ पहाड़ियों पर जीभ गिरी थी वहां ज्वाला जलती है लगातार।
तब राजा भूमि चंद्र ने वहां ज्वाला मुखी मंदिर का निर्माण करवा दिया था।
ज्वाला मुखी मंदिर में प्रज्वलित ज्वाला (Jwala mukhi temple flame )
ज्वाला मुखी मंदिर में पवित्र ज्वाला जलती है। यह ज्वाला बिना किसी ईंधन के चमत्कारी रूप से जलती है। इसी ज्वाला में माता सती ज्वाला देवी के रूप में विराजमान है।
ज्वालामुखी मंदिर में इसी पवित्र ज्वाला का पूजन होता है।
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार ज्वाला देवी मंदिर की ज्वाला से उत्पन्न लपटे देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती है। माता के यह रूप है – महाकाली, अन्नपूर्णा , चंडी , हिंगलाज , विंध्यवासिनी , महालक्ष्मी , सरस्वती , अम्बिका और अंजी देवी।
यहाँ ज्वाला देवी को ख़ास रबड़ी का भोग लगता है।
ज्वालामुखी मंदिर दर्शन समय (Temple darshan timming )
मंगल आरती – सुबह 5 बजे से सुबह 6 बजे तक
पंजुपचार पूजन – सुबह मंगल आरती के बाद
भोग आरती – दोपहर 11 बजे से 12 बजे तक
संध्या आरती – शाम 7 बजे से 8 बजे तक
श्यन आरती – रात 9 बजे से 10 बजे तक
ज्वाला मुखी मंदिर जाने का उत्तम समय (Best time to visit jwalamukhi temple)
आप ज्वाला मुखी मंदिर वर्ष भर में कभी भी जा सकते है।
इस के अलावा आप अप्रैल से जून, अगस्त से सितम्बर, जनवरी से फरवरी के बीच जा सकते है। इस समय काँगड़ा का मौसम बहुत अच्छा है। जिससे की आपको ज्वाला मुखी मंदिर घूमने में आसानी होगी।
इस के अलावा आप नवरात्रो के समय भी माता ज्वाला देवी धाम घूमने जा सकते है। नवरात्रो के समय में जवाला देवी मंदिर में हर तरफ भक्ति का रंग बिखरा होता है।
कैसे पहुंचे ज्वालामुखी मंदिर (How to reach jwalamukhi temple )
ज्वाला मुखी मंदिर पहुंचने के लिए आप फ्लाइट, ट्रैन या बस किसी का भी उपयोग कर सकते है।
फ्लाइट द्वारा – यदि आप फ्लाइट से कांगड़ा आना चाहते है तो इसके लिए आप कांगड़ा एयरपोर्ट पर उतरे। कांगड़ा एयरपोर्ट से कैब या टैक्सी द्वारा आप ज्वालामुखी मंदिर पहुंच सकते है।
कांगड़ा एयरपोर्ट से दुरी – लगभग 44 किलोमीटर
ट्रैन द्वारा – यदि आप ट्रैन से ज्वाला देवी मंदिर आना चाहते है तो कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन पर उतरे। यहाँ से आप ऑटो या कैब कर के ज्वालामुखी मंदिर पहुंच सकते है।
कांगड़ा मंदिर रेलवे स्टेशन से दूरी – लगभग 55 किलोमीटर
जवाला मुखी मंदिर , काँगड़ा के आस पास घूमने लायक अन्य स्थान (Places to visit near jwalamukhi temple )
ज्वाला मुखी मंदिर कांगड़ा के आस पास बहुत सारी जगह है घूमने के लिए जहा आप जा सकते है। उनमे से कुछ इस प्रकार है –
काँगड़ा किला (Kangda fort ):
काँगड़ा किला कांगड़ा में स्थित बहुत पुराना किला है। यह किला पहाड़ियों पर बनने वाला सबसे पुराना किला है। यहाँ पर आपको बहुत सारी चीज़े देखने के लिए मिल जाएगी।
समय – आप यहाँ सुबह 9 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक कभी भी जा सकते है।
एंट्री फी – भारतीय पर्यटक – 150 रूपए , विदेशी पर्यटक – 300 रूपए
ब्रजेश्वरी मंदिर (Brajeshwari temple ):
ब्रजेश्वरी मंदिर , कांगड़ा के मुख्य मंदिरो में से एक है। ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में पांडवो ने करवाया था।
तब से यह मंदिर ऐसा ही है।
ब्रजेश्वरी मंदिर माता दुर्गा को समर्पित है।
समय – सुबह 5 बजे से 1 बजे तक। दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक
एंट्री फी – निशुल्क
बैजनाथ मंदिर (Baijnath temple ):
बैजनाथ मंदिर कांगड़ा के प्रसिद्ध मंदिरो में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 1204 में हुआ था। यह मंदिर कांगड़ा के पुराने मंदिरो में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
समय – सुबह 5 बजे से 12 बजे तक। शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक।
एंट्री फी – निशुल्क
इंद्रहार दर्रा ( Indrahaar darra ):
इंद्रहार दर्रा करीब 4300 ऊंचाई पर स्थित दर्रा है। यदि आप कांगड़ा जाते है तो यहाँ जरूर जाये। कांगड़ा की ख़ूबसूरती देखने की यह सबसे उत्तम जगह है।
समय – आप यहाँ दिन में कभी भी जा सकते है।
एंट्री फी – निशुल्क
यदि आप यहाँ ट्रेकिंग करना चाहते है तो उसके लिए आपको पैसे देने होंगे।
चामुंडा देवी (Chamunda devi ):
चामुंड देवी , माता चामुंडा को समर्पित प्राचीन मंदिरो में से एक मंदिर है। यहाँ माता चामुंडा के साथ साथ हनुमान और भैरव की भी पूजा होती है।
समय – दिन के समय कभी भी
एंट्री फी – निशुल्क
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