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September , 2024

नैना देवी मंदिर (Naina Devi Temple)

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नैना देवी मंदिर (Naina Devi Temple)- नैना देवी मंदिर इतिहास , वास्तुकला और नैना देवी जाने का उत्तम समय
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नैना देवी मंदिर

नैना देवी मंदिर इतिहास , वास्तुकला और नैना देवी जाने का उत्तम समय

माता नैना देवी मंदिर हिन्दुओ के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। नैना देवी शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थापित है।

नैना देवी 51 शक्ति पीठो में से एक है। हमारे पुराणों के अनुसार नैना देवी मंदिर जिस स्थान पर स्थित है वहां माता सती के नेत्र गिरे थे।

नैना देवी मंदिर लोकेशन ( Naina devi mandir location )

नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थित है।

नैना देवी मंदिर इतिहास ( Naina devi mandir history )

नैना देवी मंदिर उल्लेख कुषाण काल के साम्राज्य से होता चला आ रहा है। 1842 में माता के भक्त मोती राम शाह ने सर्वप्रथम नैना देवी मंदिर की स्थापना की थी। उसके बाद 1883 में मंदिर का पुननिर्माण करवाया गया।

नैना देवी मंदिर की वास्तुकला ( Naina devi temple architecture )

नैना देवी मंदिर बहुत बड़ा और भव्य बना हुआ है। मंदिर में अंदर जाते ही एक पीपल का वृक्ष है जो की कई वर्षो से मंदिर में स्थित है। ऐसा माना जाता है की यह वृक्ष मंदिर की रक्षा करता है। मंदिर के गर्भ ग्रह में दो आंखे है जो की नैना देवी का प्रतिनिधित्व करती है। साथ ही साथ मंदिर में हनुमान जी। माता काली , भगवान् गणेश , माता की सवारी शेर , आदि की मुर्तिया भी स्थापित है।

नैना देवी मंदिर कथा ( Naina devi temple story )

पौराणिक कथाओ के अनुसार प्राचीन काल में जब राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था तो उन्होंने भगवान् शिव और माता सती को नहीं आमंत्रित किया था।

माता सती अपने पिता दक्ष के यहाँ बिना आमंत्रण के ही चली गई थी। जब माता सती यज्ञ में पहुंची तो उन्हें वहाँ भगवान् शिव का बहुत अपमान सहना पड़ा। यह बात माता सती सहन न कर पाई और हवन कुंड में ही कूद गई।

ततपश्चात भगवान् शिव ने क्रोध में आकर माता सती का शव गोद में उठाया और पूरे ब्रह्मांड में तांडव करने लगे।

भगवान् शिव के तांडव से सृष्टि में हाहाकार मचने लग गया।

भगवान् विष्णु ने भगवान् शिव को इस पीड़ा से निकालने के लिए अपना सुदर्शन चक्र चलाया और माता सती के शव के टुकड़े कर दिए। माता सती के शव के टुकड़े पृथ्वी पर अनेक जगह गिरे और वह स्थान शक्तिपीठ कहलाये।

जिस स्थान पर माता सती के नेत्र गिरे वही स्थान आज नैना देवी के नाम से जाना जाता है।

नैना देवी मंदिर दर्शन समय ( Naina devi darshan timing )

मंगल आरती – सुबह 7 बजे

 संध्या आरती – शाम 7 बजे

आप नैना देवी मंदिर में दर्शन के लिए सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक किसी भी समय जा सकते है।

नैना देवी रोप वे (Naina devi ropeway )

नैना देवी मंदिर शिवालिक की पहाड़ियों पर स्थापित है। इसलिए कई बार मंदिर चढ़ाई कर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में मंदिर के दर्शन के लिए रोपवे सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। रोपवे की सहायता से आप कुछ ही मिनट में आसानी से मंदिर पहुंच जायेगे।

रोपवे का किराया: 

नैना देवी मंदिर पहुंचने के लिए एक तरफ से रोपवे का किराया 130  रूपए , दोनों तरफ का रोपवे किराया 190  रूपए

बच्चो के लिए रोपवे का एक तरफ़ा किराया 60  रूपए और दो तरफा किराया 90  रूपए।

रोपवे में एक बार में 6  व्यक्तियों को लाया व् ले जाया सकता है। 

नैना देवी जाने का उत्तम समय ( Best time to visit Naina devi temple )

आप साल भर में कभी नैना देवी दर्शन के लिए जा सकते है।

अगस्त और सितम्बर का महीना नैना देवी जाने के लिए सबसे अच्छा होता है क्योकि इस समय हिमाचल प्रदेश का मौसम अच्छा रहता है।

इन के अलावा आप नवरात्रो में भी नैना देवी जा सकते है। नवरात्रो के समय में अनेक श्रद्धालु नैना देवी के दर्शन करने के लिए आते है।

साथ ही साथ आप नंदा अष्टमी पर भी नैना देवी आ सकते है। नंदा अष्टमी पर ब्रह्म कमल से नैना देवी की खास पूजा होती है।

नैना देवी के पास घूमने के लिए अन्य स्थान (Places to visit near Naina devi )

  •  गुरुद्वारा किला आनंदगढ़ साहिब

यदी आप शांति पूर्ण एक पवित्र स्थान पर जाना चाहते है तो एक बार यहाँ जरूर आये। आनंदगढ़ साहिब भक्ति और एकता का जीता जागता मॉडल है।

समय – सुबह 6  बजे से रात 10  बजे तक

एंट्री फी – निशुल्क

  • गोविन्द सागर जलाशय

गोविन्द सागर जलाशय एक मानव निर्मित झील है। यहाँ का दृश्य मन को मोह लेता है। यदि आप बिलासपुर आये तो यहाँ अवश्य आये।

इसका निर्माण सतलुज नदी पर हुआ है। 

 समय – सूर्योदय से सूर्यास्त तक

एंट्री फी – निशुल्क

  • लक्ष्मी नारायण मंदिर

बिलासपुर में स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान् को समर्पित है।  लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण शिखर शैली वास्तुकला में हुआ है। यह वास्तु कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

समय – सुबह 6 बजे से शाम 7  बजे तक

एंट्री फी – निशुल्क

  • व्यास गुफा

व्यास गुफा सतलुज नदी के किनारे स्थित है। यह वह स्थान है जहा ऋषि व्यास ने तपश्या की थी। यह गुफा करीब 610 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

समय – सुबह 7 से शाम 7  बजे तक

एंट्री फी – निशुल्क

  • सिटी शॉपिंग

यदि आप नैना देवी आये तो यहाँ अवश्य आये। यहाँ पर आपको सभी प्रकार की चीज़े खरीद दारी करने के लिए मिल जाएगी। यहाँ से आप कपडे , हाथ बनी हुई चीज़े , मुर्तिया आदि खरीद सकते है।

समय – दिन में कभी भी

एंट्री फी – निशुल्क

कैसे पहुंचे नैना देवी (How to reach Naina Devi )

नैना देवी पहुंचने के लिए आप फ्लाइट , रेल या बस किसी का भी उपयोग कर सकते है।

फ्लाइट द्वारा –चंडीगढ़ एयरपोर्ट से नैना देवी की दूरी 100 किलो मीटर। चंडीगढ़ एयरपोर्ट से आप कैब या टैक्सी कर के नैना देवी पहुंच सकते है। 

रेल द्वारा – काठगोदाम रेलवे स्टेशन से नैना देवी की दूरी 35 किलो मीटर है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से आप कैब या ऑटो कर के नैना देवी पहुंच सकते है।  

बस द्वारा – आप हिमाचल प्रदेश की सिटी बस का उपयोग करके आसानी से नैना देवी पहुंच सकते है। बिलासपुर बस स्टैंड से नैना देवी की दूरी करीब 3 किलोमीटर।

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