Kedarnath Temple in Hindi:केदारनाथ मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी
Piyush Kumar September 1, 2022 0Table of Contents
ToggleKedarnath Temple Uttarakhand-उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ धाम
केदारनाथ मंदिर को सनातन धर्म का छोटा धाम से जाना जाता है जोकि उत्तरी भारत के उत्तराखंड राज्य में मंदाकिनी नदी के किनारे पर स्थित है, यह समुंद्र तट से 3584 मीटर ऊंचाई पर है, इस area का पुराणो में नाम केदार खंड मिलता है.भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हर साल यहाँ हज़ारों शरद्धालु बाबा शिव का आशिर्वाद लेने आते हैं.
केदारनाथ मंदिर का इतिहास(Kaidarnath Temple History)
केदारनाथ मंदिर 400 सालों तक बर्फ के नीचे ढंका रहा, इस बात का प्रमाण साइंस से मिलता है,ऐसा कहा जाता है कि 1300-1900 ईपू पृथ्वी का ज़्यादातर हिस्सा बर्फ से ढँका हुआ था और मंदिर भी ग्लेशियर का हिस्सा बन गया था, क्योंकि मंदिर के पत्थरों पर ग्लेशियर के चलने के कारण चिकने हो गए थे.
केदारनाथ मंदिर की कहानी(Kedarnath Temple Story in Hindi)
केदारनाथ मन्दिर के निर्माण के पीछे कई कहानियाँ हैं, जिसमे से प्रसिद्ध यह है कि केदारनाथ का मंदिर पांडवों ने महाभारत के समय बनाया था, ऐसा कहा जाता है कि पांडव अपने भाई कौरव को मारने के बाद अपने पापों का प्रश्चित् करना चाहते थे, और भगवान शिव से माफी मांगना चाहते थे, मगर शिवजी पाण्डवों से मिलने के ईच्छुक नहीं थे,इसलिए उन्होंने अपने स्वरूप को नंदी में बदलकर गुप्तकाशी में छुप गये.
मगर द्रौपदी और पाण्डवों ने नंदी के अनोखेपन को भांप लिया, और भीम ने पहचान लिया कि यही शिवजी हैं, भीम ने शिवजी को पकड़ने की कोशिश भी करी लेकिन वह सफ़ल ना हुए.
शिव जमीन में चले गए और जब वे ऊपर आए, तो शरीर के विभिन्न अंग अलग-अलग जगहों पर ऊपर आ गए। नेपाल में माथा पशुपतिनाथ है, जिसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. बैल का कूबड़ केदारनाथ में है, दो अग्र पैर तुंगनाथ में हैं, जो केदार के रास्ते में है. नाभि हिमालय के भारतीय भाग में मध्य-महेश्वर नामक एक स्थान पर प्रकट हुई जो एक बहुत शक्तिशाली मणिपुरक लिंग है, और शिव के उलझे हुए ताले कल्पनानाथ कहलाते हैं.
केदारनाथ मंदिर ज्योतिर्लिंग की कहानी (History of Kedarnath Mandir Jyotirlinga)
ऐसी मान्यता है कि नर और नारायण भरत खंड के बद्रीकाश्रम की तपस्या करने गए थे, भगवान शिव उनकी तपस्या से खुश हुए और उन्हें अपने दर्शन दिये, और नर नारायण की इच्छा पुरी करने का वचन दिया, तो नर नारायण ने इच्छा में माँगा कि आप ज्योतिर्लिंग के रूप में यहाँ अपना निवास बना ले ताकि मानव जाति को लाभ प्राप्त हो सके, शिवजी ने उनकी यह इच्छा पूरी की और वह केदारनाथ मंदिर में निवास बना लिया.
केदारनाथ मंदिर कहाँ स्तिथ है (Location of Kedarnath Temple)
केदारनाथ मंदिर ऋषिकेश से 221 किमी दूर गढ़वाल हिमालय की गोद में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह केदारनाथ पर्वतमाला की पृष्ठभूमि में 3580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ छोटा चार धाम तीर्थ यात्रा सर्किट बनाने वाले चार स्थलों में से एक है.
केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया (Who build Kedarnath Temple)
केदारनाथ मंदिर भगवान शिव का सबसे पूजनीय मंदिर है, वर्तमान केदारनाथ मंदिर 8 वीं शताब्दी ईस्वी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनाया गया था और उनसे पहले यह मन्दिर पांडवों द्वारा निर्मित किया गया था, आदि शंकराचार्य ने भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर की महिमा का निर्माण और जीर्णोद्धार किया। केदारनाथ मंदिर 1200 साल से भी ज्यादा पुराना है,
केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Kedarnath Temple)
Kedarnath Mandir भूरे रंग के विशाल पत्थरों से बना हुआ है और यह पत्थर एक दूसरे से लोहे के क्लैंप से जुड़े हुए हैं इसमें किसी तरह के मोर्टार का उपयोग नहीं करा गया है. इसकी छत एक ही पत्थर से बनी हुई है,यह मंदिर 85 फीट ऊंचा, 187 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है। इसकी दीवारें 12 फीट मोटी हैं और बेहद मजबूत पत्थरों से बनी हैं। यह मंदिर 6 फुट ऊँचे चबूतरे पर बनाया गया है।
केदारनाथ मंदिर की आतंरिक बनावट (Inside Of Kedarnath Temple)
केदारनाथ मंदिर में प्रवेश करते ही एक छोटा सा हाल है और इसमें एक बड़ी नंदी की मूर्ति है, जिसमे अलग अलग देवी देवताओ जैसे की कृष्ण, पांडव भाईयों और द्रोपती, नंदी, भगवान शिव के राक्षसों में से वीरभद्र आदि की मूर्तियाँ विराजमान हैं.
Kedarnath Shivling
केदारनाथ मंदिर में असित शिवलिंग दूसरे शिवलिंग से अलग है क्योंकि यह त्रिकोड़निय आकार का है जबकि बाकी जगह शिवलिंग बेलनाकार के होते हैं.
केदारनाथ मंदिर के खुलने का समय (Kedarnath opening Date)
Kedarnath मंदिर के पट खुलने की कोई निश्चित तिथि नहीं है क्योंकि मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते है जिसकी तारीख की घोषणा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा हिंदू पंचांग की गणना कर के महाशिवरात्रि के दिन की जाती है।
केदारनाथ मंदिर के बंद होने का समय(Kedarnath Temple closing date)
जबकि Kedarnath Mandir के कपाट बंद होने की तारीख भाई दूज के दिन की तय है. जब कपाट बंद होते हैं तो कैदरनाथ बाबा की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में की जाती है.
केदारनाथ मंदिर का समय (Kedarnath Temple Timings)
मंदिर दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक बंद रहता है इसलिए दोपहर 3 बजे से पहले मंदिर जाने की योजना बनाएं। दोपहर 3 बजे से पहले आगंतुक निष्क्रिय स्पर्श कर सकते हैं और घी से अभिषेक भी कर सकते हैं। शाम 5 बजे के बाद कोई भी छू नहीं सकता है, लेकिन दूर से ही दर्शन प्राप्त कर सकता है।
सुबह की पूजा सुबह 4-7 बजे तक होती है और शाम की पूजा और पाठ 4:30 – 7 बजे तक होता है.
Dharamshala near Kedarnath Temple
केदारनाथ मंदिर और गोरिकुंड रोड की शुरुआत में ही अच्छी और सस्ती धर्मशाला जैसे कि राजस्थान सेवा सदन, गायत्री भवन, गुजरात भवन, स्वामी रामानंत अश्रम आदि धर्मशालायें है.
Hotels Near Kedarnath Temple
केदारनाथ से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर 5 Stars होटल हैं जैसे कि पृथ्वी यात्रा, गुरूमगो न्यू बसेरा, शिवालिक वेली रिज़ॉर्ट, नमः बूटीक रिज़ॉर्ट आदि.
केदारनाथ का मौसम (Kedarnath Temple Weather)
केदारनाथ में गर्मियों(अप्रिल- जून) के मौसम में भी ठंडी हवाएं चलती रहती है जो आपके सफर को खुशनुमा बना देती हैं, केदारनाथ में नवंबर से मार्च तक बहुत सर्दी पड़ती है बर्फबारी के कारण तापमान गिरकर ज़ीरो डिग्री तक आ सकता है. बारिश(जुलाई से सितम्बर ) के मौसम में यहाँ भारी बारिश तो नहीं होती है मगर कभी तेज़ बारिश हो जाये तो भूस्खलन का खतरा है.
केदारनाथ का तापमान (Kedarnath Temple Temperature)
अप्रिल से जून तक का 15-30° तापमान लगभग रहता है जबकि नवंबर से मार्च 0-20° तक और जुलाई से सितम्बर 12-27° तक रहता है.
Kedarnath Temple website
केदारनाथ मंदिर की official website है जो कि श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा संचालित होती है, इस वेबसाइट के द्वारा आप यात्रा, पूजा, आरती, बस आदि के लिए Online booking करा सकते हैं, समिति Online दान की सुविधा भी प्रदान करती है, जिसके बाद आपको एक 80G सर्टिफिकेट भी दिया जाता है. वेबसाइट पर आप पूजा आदि की timing भी देख सकते है, और यात्रा के लिए health advisory भी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं.
Kedarnath Temple Booking-केदारनाथ की बुकिंग
केदारनाथ मंदिर में आरती, पूजा, पाठ, यात्रा की बुकिंग करा सकते है, जिसके लिए आपको केदारनाथ मंदिर की वेबसाइट पर registration करना होगा फिर log in कर के आप पूजा, आरती, पाठ, हेलिकॉप्टर आदि का चुनाव करना होगा और इसके बाद एक स्लॉट चुनना होगा, जिसमें समय और तारीख को चुनना होगा,कितने लोग भाग लेंगे इसका विवरण देना होगा और अंत में online पेमेंट कर अपना टिकेट प्राप्त कर सकते हैं
Kedarnath Temple contact Number
केदारनाथ मंदिर में query और जानकारी ईमेल, फोन और पत्राचार के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं.
फ़ोन
General Enquiry & Online Prasad Services – +91-7302257116
Pilgrims Help Line for Shri Kedarnath Temple – +91-8534001008
पता
Shri Badrinath Kedarnath Samiti,
Dehradun, Saket, Lane No-7, Canal Road, Uttarakhand
ईमेल: support@ucdb.uk.gov.in
Kedarnath Temple Registration-केदारनाथ मंदिर का पंजीकरण
केदारनाथ मंदिर में registration के लिए Online form भरना होगा, जिसमें साधारण सी जानकारी जैसे मोबाइल नंबर, नाम, gender, ईमेल id देना होगी, फिर verification के लिए एक OPT आपके मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है, जिसे डाल कर अपना नंबर वेरिफाई करें और registration के बाद आपको आपका login id और पासवर्ड मिल जाता है, जिससे पूजा, आरती आदि के लिए बुकिंग कर सकते हैं, और registration प्रोसेस की जानकारी के लिए 0135-2741600 इस नंबर पर फोन भी कर सकते हैं.
केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे (How To Reach Kedarnath Temple)
By Air
ऋषिकेश-देहरादून मार्ग पर जॉली ग्रांट एयरपोर्ट केदारनाथ का करीबी एयरपोर्ट है। गौरीकुंड या हरिद्वार/ऋषिकेश तक टैक्सी किराए पर लें सकते हैं.
By Train
दिल्ली से हरिद्वार और देहरादून के लिए regularly ट्रेनें साल के हर समय मिलती हैं। यहां से पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाया जा सकता है.
By Road
गौरीकुंड का रोड अलग अलग शहरों से जोड़ता है, और ऋषिकेश, देहरादून, उत्तरकाशी और टिहरी, पौड़ी और चमोली आदि से आप आसानी से पब्लिक ट्रांसपोर्ट ले सकते हो.
चाहे आप किसी भी शहर से किसी भी साधन से केदारनाथ जा रहे हो आपका हरिद्वार और ऋषिकेश से ही पहाड़ी सफर शुरू होता है फिर इसके बाद आपको अलग अलग जगहों से होते हुए गोरिकुंड पहुँचना होता है, इसके बाद 16km लम्बा trek शुरू होता है जो केदारनाथ मंदिर पर जाकर खत्म होता है.
केदारनाथ की चढ़ाई (Kedarnath temple trek route)
केदारनाथ के लिए 2 trek हैं रामबारा और लीचुली, रामबारा 2013 के बाढ़ से पूरी तरह खत्म हो गया था मगर अब यहाँ पुल भी बना दिया गया है, और इन पैदल रास्तों की देखरेख के लिए कई टीमें बनाई गयी हैं, इन trek पर आपको जगह-जगह छाया और आराम के शेड्स, मेडिकल सुविधा जैसे कि First aid और 10 बेड वाला हॉस्पिटल भी उपलब्ध हैं.
Kedarnath temple walking distance
केदारनाथ जाने के लिए मंदाकिनी नदी के किनारे 16 km का यह सुन्दर trek प्रकृति के मनोरम दृश्यों अनुभव कराता है. इन trek के अलग अलग स्थानों की दूरी है जैसे कि गौरीकुंड से जंगल या भैरो चट्टी 4km पर है, फिर भैरोचट्टी से भीमबली की दूरी 3km है, भीमबली से लिच्चोली की दूरी 4km है और आखिर में लिच्चोली से केदारनाथ मंदिर 1km की दूरी पर स्थित है.
श्रद्धालुओं को शाम 5 बजे तक ही ऊपर में आने की अनुमति है और शाम को 6:30 बजे तक नीचे आना होता है.
पैदल जाने के अलावा आप घोड़े, पालकी की भी सवारी कर सकते हैं. और आपका बजट अच्छा है तो यहाँ हेलिकॉप्टर की भी सुविधा है. जिसके लिए आप heli services की official website पर जाकर Online booking और cancel भी करा सकते हैं.
केदारनाथ मंदिर जाने का उचित समय (Best time to visit Kedarnath Temple)
केदारनाथ अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहाँ का तापमान बहुत कम रहता है, सर्दियों में यहाँ बर्फ़ रहती है और मंदिर के कपाट भी बंद रहते हैं, इसलिए गर्मियों में अप्रिल से जून और सितम्बर से नवम्बर का समय यात्रा के लिए अनुकूल है.
लेकिन पहाड़ी इलाका है इसलिए बारिश के मौसम में जाना ignore करना चाहिए क्योंकि भू-फिसलन का खतरा रहता है.
Kedarnath Temple 2013 Flood-केदारनाथ धाम पर आया 2013 का बाढ़
जून 2013 में अचानक भारी बारिश होने के कारण चोकबारी ग्लेशियर पिघल गया जिसका पूरा पानी, पत्थर मिट्टी के साथ मंदाकिनी नदी से केदारनाथ की तरफ आ गया और इस जल प्रलय ने केदारनाथ मंदिर के आसपास area को बर्बाद कर दिया था, और अपने साथ बहा कर ले गया. बताया जाता है कि 6000 लोगों की मृत्यु हो गयी थी. रोड बिल्डिंग सब बर्बाद हो गये थे.
एक पत्थर ने केदारनाथ मंदिर को कैसे बचाया (How did A Stone Save the Kedarnath Temple)
मगर यह एक चमत्कार ही कहो कि केदारनाथ मंदिर में कोई छति नहीं हुई वह अपनी जगह ज्यो का त्यो ही खड़ा रहा. मंदिर की रक्षा एक बड़ी गोलाकार चट्ठान ने की, जिसे भीम शीला कहा जाता है, यह चट्ठान पानी में बहती हुई आई और मंदिर के ठीक पीछे आकर रुक गयी, जिससे पानी मंदिर के आसपास से पानी बहता हुआ चला गया. मंदिर की चारों दीवारों में से बस एक दीवार पर हल्की सी दरार आई जिसे सही करा लिया गया है.
Kedarnath Temple After 2013 flood
बाढ़ के कारण जो रोड बिल्डिंग बर्बाद हुई थी सबको पहले से बेहतर बना लिया गया है, ट्रैक के लिए भी अच्छा रास्ता बनाया गया है वहाँ एक शानदार कांच का पुल भी बनाया गया है. जोकि आकर्षण का केंद्र है. और मंदिर को इंटरनेट से जोड़ कर Online सेर्विसेस चालू कर दी गयीं हैं.
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